भोपाल
कोरोनाकाल में जब देशभर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा था। तब भेल भोपाल के ऑक्सीजन प्लांट में 24 घंटे उत्पादन हो रहा था। मार्च, अप्रैल और मई माह में भेल ने 6000 क्यूबिक मीटर से अधिक ऑक्सीजन का रोजाना उत्पादन किया। प्रबंधन अब अपने ऑक्सीजन प्लांट की क्षमता बढाने जा रहा है। प्लांट में अब जल्द ही 9000 क्यूबिक मीटर तक ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकेगा। भेल के ऑक्सीजन प्लांट से कोरोनाकाल में कस्तूरबा अस्पताल, एम्स, सैनिक अस्पताल, रेलवे अस्पताल, पुलिस अस्पताल सहित प्रदेश के विभिन्न निजी अस्पतालों में 1 लाख 53 हजार क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन यानी 23 हजार से ज्यादा सिलेंडरों की सप्लाई की गई थी। इसी दौरान एक दिन में 975 सिलेंडर की सप्लाई कर रिकॉर्ड भी बनाया था। छह माह तक 600 से 700 के सिलेंडर सप्लाई किए गए। क्षमता बढ़ाने का मकसद यह है कि आपात स्थिति में ऑक्सीजन की कमी न होने पाए।
हरिद्वार यूनिट ने की एक दिन में 3 हजार से भी ज्यादा सिलेंडर भरने की क्षमता विकिसत
भेल की हरिद्वार यूनिट ने एक सप्ताह के रिकॉर्ड समय में रोजाना तीन हजार से ज्यादातर सिलेंडर भरने की क्षमता विकिसत की है। यहां के ऑक्सीजन प्लांट से कोरोनाकाल में अस्पतालों, जिला प्राधिकरणों, सार्वजनिक उपक्र मों, सशस्त्र बलों की जरूरत को पूरा करने के लिए करीब 55 हजार मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों को भरकर उत्तराखंड, यूपी के साथ दिल्ली एनसीआर भेजे गए थे।
178 नए प्लांट से शुरु हुआ उत्पादन
राज्य सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि मेडिकल के क्षेत्र में ऑक्सीजन की आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए पूरे राज्य में 178 नए ऑक्सीजन शुरु किए. मध्य प्रदेश में कुल 201 ऑक्सीजन के नए प्लांट लगाने की अनुमति मिली है.
93 फीसदी होगी ऑक्सीजन की शुद्धता
इन प्लांटों को सुबह 9 बजे शुरु किया जाएगा, जो कि लगातार 6 घंटे तक काम करते रहेंगे. इस दौरान छोटे-छोटे अंतराल पर ऑक्सीजन की शुद्धता की जांच होती रहेगी. विशेषज्ञों की मानें तो राज्य प्लांट चालु होने के बाद 1 से 3 घंटे के अंदर 93 फीसदी से 3 फीसदी कम या ज्यादा की शुद्धता पर ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकेगा. प्लांट से तैयार ऑक्सीजन की शुद्धता 93 फीसदी से 3 फीसदी कम या ज्यादा होगी.