धीरज चतुर्वेदी
भोपाल । (अपनी खबर ) बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रमुख शहर छतरपुर में पिछले दिनों लगातार हुई बारिश के कारण किशोर सागर तालाब भी पूरा भर गया। इस तालाब का पानी फैलता हुआ मंगलवार 30 अगस्त की रात जिला न्यायाधीश के बंगले में अंदर तक भर गया। इसके बाद स्थानीय प्रशासन सक्रिय हुआ। किशोर सागर तालाब को मोटर पंप लगाकर खाली किया गया। सूत्रों के अनुसार जिला जज के बँगले में पानी भर जाने के कारण कलेक्टर के आदेश पर तालाब से हजारों गैलन पानी पंप के जरिये निकालकर सड़को पर बहा दिया गया।
उल्लेखनीय है कि यह वही तालाब है जिसे कब्ज़ामुक्त करने के लिये एनजीटी के आदेश के परिपालन करने की जिम्मेदारी छतरपुर जिला अदालत को सोंपी गई है।
एनजीटी ने साफ तौर पर आदेशित किया है कि तालाब के फुल टेंक लेबल तक अतिक्रमण हटाये जाये। यह बताना जरूरी होगा कि दशकों पूर्व निर्मित जिला जज के बँगले के पिछले हिस्से से तालाब का भराव क्षेत्र था।
तालाब के फुल टेंक लेवल के बाद भी कभी जिला जज बँगले में पानी नहीं भरा।
इस साल अच्छी बारिश होने से तालाब भी लबालब है। अभी यह हाल है कि जिला जज के बँगले के पिछले हिस्से में तालाब के मूल भराव क्षेत्र में सैकड़ो मकान बनने से पानी की लहरों को रोक दिया गया है। इस कारण यह हालात निर्मित हुए कि जिला जज का बंगला तालाब के पानी की जद में आ गया।
ज्ञात हो कि बारिश का चक्र बिगड़ने से समूचे बुंदेलखंड सहित छतरपुर में भी सूखे के हालात बने रहते है। तालाब पूरी तरह भर नहीं पाते और गर्मी आते ही तालाबों की तलहटी तक पानी पहुंच जाता है। इस साल अच्छी बारिश से सभी तालाब भी खिल उठे है। किशोर सागर तालाब भी लबालब होकर ख़ुद अपनी व्यथा बता रहा है कि मेरी हक़ की जमीन पर कितना बेजा अतिक्रमण है। इन्ही अवैध कब्जो को हटाने के लिये एनजीटी का आदेश है। यह आदेश छतरपुर प्रशासन की फाइलो में छटपटाता रहा। तब पिछले साल एनजीटी ने एक याचिका पर अपने पुराने आदेश को अमल में लाने की जिम्मेदारी छतरपुर जिला जज को सोंपी थी। यह मामला अपर जिला जज की न्यायायल में विचाराधीन है। जिसमे पिछली कई तारीखों से छतरपुर कलेक्टर अपना प्रतिवेदन तक पेश नहीं कर एक प्रकार से अदालत की अवमानना कर रहे है।
दूसरी ओर कलेक्टर के आदेश पर किशोर सागर तालाब के भराव को खाली किया गया। महत्वपूर्ण है कि जिला जज के बँगले में पानी भरने के मामले में तालाब को खाली करने की कार्यवाही से सीधा लाभ उन कब्जेधारियों को मिला जिन्होंने अवैध रूप से तालाब पर मकान बना रखे है। यह भी सत्य है कि अदालत के आदेश के परिपालन में किशोर सागर तालाब कब्ज़ामुक्त होता तो जिला जज के बँगले में घुटनो तक पानी नहीं भरता।