• Mon. Sep 16th, 2024

42 दरिंदों को सजाए मौत, लेकिन फांसी के फंदे से अब तक दूर

Byadmin

Sep 3, 2022

भोपाल

प्रदेश में बच्चियों से दुष्कर्म करने और उनकी हत्या करने वालें दरिंदों को सजा तो फांसी पर चढ़ाने की मिलती है, लेकिन इनमें से कोई भी फांसी के फंदे तक नहीं पहुंच सका है। प्रदेश में इस तरह के एक-दो नहीं बल्कि डेढ़ दर्जन के लगभग मामले हैं, जिनमें ढाई दर्जन आरोपियों को फांसी की सजा दी गई लेकिन वे फंदे तक अब तक नहीं चढ़ सके हैं।  प्रदेश में फांसी की सजा के 42 आरोपी प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं। बच्चियों से ज्यादती के बाद उनकी हत्या और ऐसे ही जघन्य अपराधों के तीन दर्जन के लगभग अपराधियों को जिला अदालतें फांसी की सजा सुना चुकी हैं, लेकिन इन गुनहगारों की याचिकाएं हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट और राष्ट्रपति के पास लंबित हैं। प्रदेश के ऐसे दरिंदों की याचिकाओं को लंबित हुए लंबा वक्त हो चुका है। इसके चलते इनमें से किसी भी मामले में किसी को भी पिछले 25 सालों से प्रदेश में फांसी नहीं हो सकी है। प्रदेश में अंतिम फांसी की सजा 1997 में जबलपुर जेल में कामता तिवारी को दी गई थी। उस पर भी बच्चियों से ज्यादती और हत्या का आरोप था।

फांसी की सजा का कानून
कोर्ट द्वारा गंभीर अपराधों खासतौर पर बच्चियों के साथ ज्यादती और हत्या के मामलों में अपराधियों को कठोर सजा सुनाई हैं, लेकिन हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के पास दया याचिका लंबित होने से अपराधी फंदे पर नहीं लटक पा रहे हैं। राज्य सरकार ने भी बच्चियों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान किया है। इसके बाद भी इस तरह के मामलों के दोषी अब तक फांसी के फंदे पर नहीं चढ़ सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *