वॉशिंगटन
चीन से बढ़ती तनातनी के बीच अमेरिका अब एक नई रणनीति पर काम करने जा रहा है। यूएस ने अपने सहयोगी देशों को हथियारों की बिक्री में तेजी लाने का फैसला किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका कई नौकरशाही बाधाओं को दूर करके अपने पार्टनर्स को हथियारों की सेल में तेजी लाएगा, जिससे चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में देरी न हो।
रक्षा विभाग ने विदेशों में अमेरिकी हथियारों की बिक्री को लेकर नई पहल शुरू की है। यह विशेष रूप से उन सहयोगियों के लिए है, जिन्होंने यूक्रेन को सैन्य उपकरण मुहैया कराए हैं। US ने अपने यूरोपीय सहयोगियों से वादा किया है कि वह उनके स्टॉक को फिर से भर देगा। हालांकि, अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री खुद बैकलॉग का सामना कर रही है।
कॉन्ट्रैक्ट नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी
डिफेंस डिपार्टमेंट साल में केवल एक बार ही सैन्य उपकरणों के लिए कॉन्ट्रैक्ट्स को मंजूरी देता है। ऐसे में जो देश डेडलाइन खत्म होने तक अपने ऑर्डर नहीं दे पाते हैं उन्हें अगले साल का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, स्टेट डिपार्टमेंट इसे लेकर रक्षा विभाग से बातचीत कर रहा है। हथियारों की सप्लाई बढ़ाने के मकसद से इसमें बदलाव किया जा सकता है। मालूम हो कि हथियारों की बिक्री बढ़ाने की खबर ऐसे समय सामने आई है जब ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के रिश्तों में तनाव है।
ताइवान को एक अरब डॉलर के हथियार बेचने की मंजूरी
इस बीच यूएस ने ताइवान को एक अरब डॉलर से अधिक के हथियार बेचने की घोषणा की है। विदेश विभाग ने बताया कि 1.09 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री में 35.5 करोड़ डॉलर की हवा से समुद्र में मार करने वाली हारपून मिसाइलें, 8.5 करोड़ डॉलर की हवा से हवा में मार करने वाली साइडविंडर मिसाइलें शामिल हैं।
अमेरिका और चीन के बीच रिश्तों में कड़वाहट तब से और बढ़ गई है, जब से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने पिछले महीने ताइवान की यात्रा की। पेलोसी की ताइपे यात्रा के बाद से अमेरिकी कांग्रेस के कम से कम दो अन्य प्रतिनिधिमंडल ने भी वहां का दौरा किया है। चीन ने इन सभी यात्राओं की निंदा की है।