• Sun. Dec 8th, 2024

मध्य प्रदेश में नए कानून की तैयारी, बलात्कार दोषियों को अब रहना पड़ सकता है आखिरी सांस तक जेल में

 भोपाल।
आजीवन कारावास की अवधि के निर्धारण के लिए मध्य प्रदेश सरकार की प्रस्तावित नीति में नाबालिग के साथ बलात्कार एवं समूहिक बलात्कार, आतंक और नशीले पदार्थों के अवैध व्यवसाय में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बंदियों को अब आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को मंत्रालय में विभिन्न अधिनियमों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों की रिहाई की अवधि की प्रस्तावित नीति 2022 पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश में वर्ष 2012 की नीति लागू है। वर्तमान में प्रदेश के 131 जेलों में 12,000 से अधिक बंदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजीवन कारावास की सजा प्राप्त बंदियों के संबंध में जो नई नीति तैयार की गई है, उसमें जघन्य अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी। आतंकी गतिविधियों और नाबालिगों से बलात्कार के अपराधियों का कारावास 14 वर्ष में समाप्त नहीं होगा। मध्यप्रदेश में ऐसे अपराधियों को अंतिम सांस तक कारावास में ही रहने का प्रावधान किया गया है।

इन दोषियों को अंतिम सांस तक रहना होगा जेल में
अधिकारी ने बताया, 'ऐसे अपराधियों में विभिन्न अधिनियम में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए गए दोषी, नाबालिग से बलात्कार के दोषी, सामूहिक बलात्कार के दोषियों, जहरीली शराब बनाने, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराधों, दो या दो से अधिक प्रकरण में हत्या के दोषी को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा।' उन्होंने कहा कि इसमें शासकीय सेवकों की सेवा के दौरान हत्या का अपराध करने वाले दोषी भी शामिल होंगे। इसी तरह राज्य के विरुद्ध अपराध और सेना के किसी भी अंग से संबंधित अपराध करने वाले अपराधी भी किसी रियायत का लाभ नहीं ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि इन अपराधों में आजीवन कारावास से दंडित बंदियों को अब जेल में ही अंतिम सांस तक रहना होगा।

रिहा नहीं हो सकेंगे 376 के दोषी
अधिकारी ने बताया कि आजीवन कारावास से दंडित भादंसं की धारा 376 के दोषी बंदी भी 20 वर्ष का वास्तविक कारावास और परिहार सहित 25 वर्ष पूर्ण करने से पहले जेल से रिहा नहीं हो सकेंगे। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बारे में कहा, 'आजीवन कारावास के ऐसे बंदी जो अच्छे व्यवहार, आचरण आदि के कारण समय पूर्व रिहाई का लाभ लेते हैं, वे अलग श्रेणी के हैं और आतंकी, बलात्कारी बिल्कुल अलग श्रेणी के हैं। बलात्कार के मामलों में किसी भी स्थिति में बंदियों को समय पूर्व रिहाई का लाभ नहीं मिलना चाहिए। ऐसे अपराधी समाज विरोधी हैं।'

10 राज्यों की नीतियों पर हुई स्टडी
सीएम चौहान ने कहा कि कारावास में रिहाई का अर्थ सिर्फ सद् व्यवहार और आगे अपराध मुक्त जीवन का संकेत देने वाले अपराधियों पर ही लागू हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार इस तरह का गंभीर अपराध करने वाले आगे ऐसा अपराध नहीं करेंगे, इसकी गारंटी कौन ले सकता है। चौहान ने कहा कि जागरूकता अभियान से बलात्कार के मामलों में कमी लाने के लिए एक कार्ययोजना पर भी अमल किया जाए। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में 10 राज्यों की नीतियों के अध्ययन के बाद यह प्रस्तावित नीति तैयार की गई है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *