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भारतीयों में हृदय की बीमारियों का खतरा ज्यादा

Byadmin

Sep 8, 2022 , ,

आनुवांशिकीय कारणों से भारतीयों में हृदय की बीमारियां होने का खतरा अपेक्षाकृत कहीं अधिक है। यही वजह है कि हर साल सितंबर महीने में न्यूट्रिशन मंथ यानी पोषण माह मनाया जाता है न्यूट्रिशन मंथ मनाने का मुख्य मकसद पोषण सेहत जरूरी संकेतों को लेकर लोगों में जागरूकता और खुशियां फैलाना है।

यह पोषण माह दुनियाभर के लोगों को यह याद दिलाता है कि वे अपने और अपने परिवार के लिये लाइफस्टाइल से जुड़े विकल्प चुनने से पहले रुकें और उसका मूल्यांकन करें। वहीं उनकी सेहत की सुरक्षा के लिये सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को समझें। रितिका समद्दर रीजनल हेड-डाइटेटिक्स मैक्स हेल्थकेयर दिल्ली ने कहा शोध अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि भारतीयों की आनुवंशिक संरचना इस तरह की है कि उन्हें दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा है। यही वजह है कि कई भारतीय परिवारों में हृदय रोग सेहत की गंभीर चिंता बनता जा रहा है।
आहार और जीवनशैली में बदलाव परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और दिल की बेहतर सेहत के लिये जोखिम के कारकों को कम कर सकता है चूंकि पूरी दुनिया में लोग इस नये नॉर्मल के साथ तालमेल बिठाने के लिये अपनी जीवनशैली को उसके अनुकूल बना रहे हैं ऐसे में अब लोगों के लिये अपनी सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। हृदय की बेहतर सेहत के लिये हृदय के लिये सेहतमंद खानपान का चुनाव करना सबसे पहला कदम है। संतुलित आहार लेना ना केवल हृदय रोग के जोखिम को कम करने का सबसे सरल सबसे प्रभावी तरीका है बल्कि अन्य स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी दूर करता है। एक पौष्टिक आहार वह है जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखता है या उसे बेहतर बनाता है इसमें विभिन्न प्रकार के पोषण युक्त खाद्य पदार्थ खाना खाने की मात्रा को कम करना शामिल है। जिससे कैलोरी की खपत की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार कोलेस्ट्रॉल के स्तर  को कम करके हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यहां दिल की सेहत के लिये तीन प्रमुख खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया है जिन्हें आपको दिल की सेहत को ज्यादा से ज्यादा बेहतर करने के लिये अपने आहार में शामिल करना चाहिए। बादाम रोज के खाने में मुट्ठीभर बादाम को शामिल करना शुरूआत करने का एक अच्छा तरीका है क्योंकि इसमें काफी सारे पोषक तत्व होते हैं जोकि इसे हेल्दी स्नैकिंग का एक सेहतमंद विकल्प बनाता है और यह दिल की सेहत को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।

बादाम, विटामिन ई, मैगनीशियम, प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, जिंक जैसे 14 जरूरी पोषक तत्वों का स्रोत है। शोध बताते हैं कि नियमित रूप से बादाम खाने से एलडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल को प्रभावी रूप से कम करने में मदद मिल सकती है। इससे किसी की भी दिल की सेहत समय के साथ बेहतर होती जाएगी। इसके अलावा, बादाम और हृदय स्वास्थ्य पर किए गए शोध से पता चलता है कि स्वस्थ आहार के रूप में बादाम को रोजाना शामिल करने से डिस्लिपिडेमिया को कम करने में मदद मिल सकती है, जो भारतीयों में हृदय रोग के लिये सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में से एक है अनहेल्दी स्नैक्स खाने के बजाय बादाम का सेवन करने से व्यक्ति के जीवन में एक स्वस्थ बदलाव आ सकता है। अपने परिवार के पसंदीदा स्वस्थ लेकिन स्वादिष्ट स्नैक्स बनाने के लिये बादाम को उनके मनपसंद पकवानों के साथ मिलाया जाना चाहिए। बाजरा बाजरा प्रोटीन, मिनरल, कैल्शियम, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, जिंक और विटामिन से भरपूर होता है। एक शोध अध्ययन के अनुसार, बाजरा कुल कोलेस्ट्रॉल को 8% तक कम करके हृदय रोगों के होने के जोखिम को कम कर सकता है भले ही गेहूं और चावल सबसे अधिक खपत वाले अनाजों में से एक हो सकते हैं, लेकिन बाजरा फॉक्सटेल मिलेट्स (कंगनी) सोरघम (ज्वार) फिंगर मिलेट (रागी) आदि आज भारत में उपलब्ध सबसे स्वस्थ अनाजों में से हैं। बाजरे की इडली बनाकर इसे अपने आहार में शामिल करना सबसे आसान तरीका है। चावल जगह रागी का इस्तेमाल कर ऐसा किया जा सकता है- यह पौष्टिक खाना है, जोकि संतुष्टि देने के साथ लंबे समय तक पेट भरे होने का एहसास कराता है। बेरीज बेरीज का पौष्टिक गुण काफी अच्छा है। आमतौर पर इसमें फाइबर विटामिन सी और एंटीआॅक्सीडेंट पॉलीफेनॉल उच्च मात्रा में होते हैं। इसकी वजह से रोजाना के आहार में बेरीज को शामिल करने से कई सारी क्रॉनिक बीमारियों से बचाव और लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही स्थानीय रूप से उगने वाले बेरीज जैसे स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी रस्पबेरी मलबेरी ही खाना चाहिए क्योंकि ये पॉलीफेनॉल खासकर एंथोसायनिन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और फाइबर का अच्छा स्रोत होता है। शोध अध्ययनों के अनुसार, बेरीज बेहतर कार्डियो वैस्कुलर जोखिम प्रोफाइल वाले घटक रहे हैं विभिन्न प्रकार के बेरीज का उपयोग करते हुए इंसानी अध्ययनों ने एलडीएल आॅक्सीकरण, लिपिड पेरोक्सीडेशन, कुल प्लाज्मा एंटीआॅक्सीडेंट क्षमता, डिस्लिपिडेमिया और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म  में महत्वपूर्ण सुधार दिखाए हैं।ं

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