नई दिल्ली।
चीन की विस्तारवाद की नीति के खिलाफ भारत लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। अब एक और मोर्चे पर पड़ोसी को घेरने की तैयारी चल रही है। जापान के विदेश और रक्षा मंत्रियों ने गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कहा कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी "काउंटरस्ट्राइक क्षमताओं" सहित सभी विकल्पों की जांच कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अपनी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए रक्षा बजट में काफी वृद्धि करेंगे।
राजनाथ सिंह और जयशंकर ने जापान के विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमदा के साथ टोक्यो में 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक की। उन्होंने जापान के साथ सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों देशों के द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा, "काउंटरस्ट्राइक क्षमताओं सहित राष्ट्रीय रक्षा के लिए आवश्यक सभी विकल्पों की जांच करने के अपने संकल्प को व्यक्त करते हुए जापान ने अगले पांच वर्षों के भीतर जापान के रक्षा बजट में पर्याप्त वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। इस दृढ़ संकल्प को स्वीकार करते हुए भारत ने भी सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।''
बयान में यह भी कहा गया, "सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग पहले से कहीं अधिक आवश्यक है। मंत्रियों ने इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता को जताया है। इससे दोनों देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा होगी। दोनों देशों ने सभी देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही एकतरफा यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास की निंदा की है।'' बयान में हालांकि चीन का नाम नहीं लिया गया है। बिना नाम लिए ही संदेश दिए गए हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा, "आज की चर्चा के दौरान हमने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के आदान-प्रदान बढ़ाने पर ध्यान दिया। हमने अपने द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे को और बढ़ाने पर भी सहमति व्यक्त की है। हमने तीनों सेनाओं और तटरक्षक बल के बीच वार्ता और उच्च स्तरीय संवाद स्थापित किया है। मुझे खुशी है कि अब हम जापानी बलों के संयुक्त कर्मचारियों और भारत के रक्षा कर्मचारियों के बीच स्टाफ वार्ता पर सहमत हुए हैं।”
उन्होंने कहा, “भारत और जापान के बीच रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग को बढ़ाना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। आज की हमारी बैठक में मुझे उभरते और महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में भागीदारी का प्रस्ताव करने का अवसर मिला। मैंने जापानी रक्षा कंपनियों को भारत में निवेश के अवसर तलाशने के लिए भी आमंत्रित किया है।''