नूरपुर
25 दिन के लंबे इंतजार के बाद रविवार को चक्की पुल को भारी वाहनों के लिए खोल दिया गया। चक्की पुल भारी वाहनों के लिए खुलने पर लोगों ने राहत की सांस ली है। रविवार सुबह 6 बजे से चक्की पुल पर बड़े वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई। शनिवार शाम एनएचएआइ की टीम ने चक्की पुल का निरीक्षण किया तथा एनएचएआइ के परियोजना निदेशक कर्नल अनिल सेन ने चक्की पुल को बड़े वाहनों के लिए खोलने की रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी। वहीं प्रशासन ने एनएचएआइ की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए चक्की पुल को रविवार सुबह 6 बजे भारी वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया। चक्की पुल में बाढ़ आने व जलस्तर बढ़ने से पुल के दो पिल्लर पी-1 व पी-2 खतरे की चपेट में आ गए थे तथा लोगों की व पुल की सुरक्षा के लिए एनएचएआई ने 24 अगस्त को तुरंत प्रभाव से यातायात बंद करने की रिपोर्ट प्रशासन को सौंप दी थी। प्रशासन ने तुरंत चक्की पुल पर यातायात बंद कर दिया दिया था।
इसके बाद एनएचएआइ की टीम सेना की मदद से पुल के संवेदनशील पिल्लरों को बचाने में जुट गई। पहले चरण में भारी मशीनों के साथ पानी का बहाव मोड़ने का काम शुरू हुआ लेकिन बीच बीच में चक्की खड्ड में बाढ़ आने से काम बाधित होता रहा। पानी का बहाव मोड़ने के बाद एनएचएआइ व सेना पिल्लरों की सुरक्षा में जुट गए।
12 सितंबर को छोटे वाहनों के लिए खोला गया था पुल
एनएचएआइ ने 11 सितंबर को चक्की पुल का निरिक्षण किया व पुल को 12 सितंबर से हल्के यात्री वाहनों के लिए खोलने की रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी तथा प्रशासन ने 12 सितंबर को चक्की पुल हल्के यात्री वाहनों के लिए खोल दिया। उम्मीद की जा रही थी कि चक्की पुल जल्द ही भारी वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा। एनएचएआई ने शनिवार को दोबारा चक्की पुल का निरीक्षण कर पुल को भारी वाहनों के लिए खोलने की रिपोर्ट प्रशासन को दी तथा रविवार सुबह लंबे अंतराल के बाद चक्की पुल को भारी वाहनों के लिए खोल दिया गया।
क्रेट वाल लगाने का काम जारी
एसडीएम अनिल भारद्वाज ने बताया रविवार सुबह 6 बजे चक्की पुल पर भारी वाहनों के लिए खोल दिया गया है। एनएचएआइ के परियोजना निदेशक कर्नल अनिल सेन ने बताया कि पिल्लरों की सुरक्षा के लिए क्रेट लगाने का काम जारी है तथा पुल पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
इसलिए महत्वपूर्ण है चक्की पुल
मंडी-पठानकोट एनएच पर बना चक्की पुल पंजाब और हिमाचल को जोड़ता है। इसी पुल से दोनों राज्यों के बीच आवाजाही व खाद्य पदार्थों सहित अन्य जरूरी साजो सामान की सप्लाई होती है। जिला कांगड़ा के सीमावर्ती क्षेत्र के लोग रोजी-रोटी के लिए रोजाना इसी पुल से आवाजाही करते हैं। इसके अलावा सामरिक दृष्टि से भी यह पुल बेहद महत्वपूर्ण है। इस पुल से होकर ही सेना मनाली से होते हुए लेह तक पहुंचती है।