भोपाल
चिकित्सा शिक्षा विभाग नीट-पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए फर्स्ट राउंड काउंसलिंग का रिजल्ट 4 अक्टूबर को जारी करेगा। इस काउंसलिंग में एनएमसी की गाइडलाइन लागू होने के बाद अब 42.5% सीट (329 सीट) पर प्रवेश लेने वाले छात्रों से सरकारी कॉलेज के बराबर फीस लेनी है। ऐसे में सवाल है कि क्या कॉलेज का पूरा खर्च निकालने के लिए अन्य 42.5% सीट पर प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए फीस बढ़ाई जाएगी। यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाने के कारण छात्र परेशान हैं। फीस निर्धारित करने वाली प्रदेश की दोनों एजेंसियाें ने अभी तक अपने स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
वहीं राज्य शासन की ओर से भी नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) की गाइडलाइन लागू होने पर फीस रिव्यू करने को नहीं कहा गया है। इस मामले को लेकर प्राइवेट कॉलेज जरूर हाईकोर्ट पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि एनएमसी की गाइडलाइन से नुकसान छात्रों का ही होना है। कॉलेज के संचालन में जितना खर्च आता है उसकी भरपाई छात्रों से की जाती है। यदि आधे छात्र कम फीस देंगे तो बचे आधे छात्रों से ज्यादा फीस लेनी ही होगी। यानी आधे छात्रों को वर्तमान में निर्धारित प्राइवेट कॉलेज की फीस से दोगुना फीस जमा करनी होगी। इसके लिए इस संबंध में मध्यप्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमिशन (एमपीपीयूआरसी) और एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमिशन (एएफआरसी) में चर्चा करेंगे।
बता दें कि एनएमसी की गाइडलाइन लागू होने के कारण एनआरआई की 15 सीट छोड़कर शेष सीट में से 42.5% सीट पर कम रैंक प्राप्त करने वाले जिन विद्यार्थियों को एडमिशन मिलेगा उन्हें एमपीपीयूआरसी और एएफआरसी द्वारा निर्धारित फीस जमा करनी होगी। वर्तमान फीस में इजाफा होने पर स्टूडेंट्स को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अधिकारियों के मुताबिक फीस निर्धारण के मापदंड में राज्य शासन के निर्देश के बाद ही बदलाव हो सकता है। इसके बाद कॉलेज संचालकों को फीस निर्धारण के लिए रिव्यू करने के लिए आवेदन करना पड़ेगा।
शासन जो कहेगा हम उस हिसाब से कार्रवाई करेंगे
एनएमसी की गाइडलाइन लागू किए जाने संबंधी पत्र तो प्राप्त हुआ है। काउंसलिंग शुरू होने से पहले आयोग को जो फीस तय करनी है वो कर दी है। एनएमसी की गाइडलाइन लागू के बाद फीस किस तरह तय होगी। इसके लिए सरकार से गाइडलाइन नहीं आई है। हम शासन से बंधे हैं। शासन जो कहेगा उस हिसाब से कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. भरत शरण सिंह, चेयरमैन, मध्यप्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमिशन
इनका कहना
मेडिकल के यूजी कोर्स की फीस निर्धारण के लिए 23 सितंबर को कमेटी की मीटिंग है। इसमें सिर्फ यूजी कोर्स की फीस निर्धारित की जाएगी। साथ ही कॉलेज की बात भी सुनी जाएगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी। पीजी कोर्स की फीस तय हो चुकी है।
डॉ. रवींद्र कान्हेरे, चेयरमैन, एएफआरसी
स्टूडेंट्स से फीस लेकर ही कॉलेज संचालित होता है। कॉलेज का खर्च निकल सके, इसलिए कोई रास्ता तो निकालना ही होगा। शेष 50% स्टूडेंट्स की फीस बढे या फिर सरकार भरपाई करे। गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई है। कोर्ट जो आदेश देगा उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे।
अनुपम चौकसे, सेक्रेटरी, एलएनसीटी यूनिवर्सिटी
एनएमसी की गाइडलाइन लागू होने से कॉलेजों पर असर नहीं पड़ेगा। छात्रों को परेशानी होगी। अभी सभी कॉलेजों से बराबर फीस लेते थे। अब आधे छात्रों से ज्यादा फीस लेंगे। इस संबंध में फीस कमेटी से चर्चा तो करेंगे ही। सभी कॉलेज कोर्ट भी पहुंचे हैं।
डॉ. अजय गोयनका, डायरेक्टर, चिरायू मेडिकल कॉलेज